“बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय, जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।

अपनी बुराई देखनेका ज्ञान अपनेमें है, पर असावधानीके कारण उसका उपयोग हम दूसरोंकी बुराई देखनेमें करते रहते हैं, जिसका बहुत बड़ा भाग अपनी कल्पना ही होती है, वास्तविक नहीं | वास्तविक बुराईका ज्ञान तो अपने सम्बन्धमें ही सम्भव है और उसीसे साधक सदाके लिये बुराईरहित होकर सभीके लिये उपयोगी हो जाता है | बुराई-रहित होना … Read more

भीष्म बोले , “एक बात बताओ कन्हैया ! इस युद्ध में जो हुआ वो ठीक था क्या …. ?”

भीष्म चुप रहे , कुछ क्षण बाद बोले,” पुत्र युधिष्ठिर का राज्याभिषेक करा चुके केशव … ?उनका ध्यान रखना , परिवार के बुजुर्गों से रिक्त हो चुके राजप्रासाद में उन्हें अब सबसे अधिक तुम्हारी ही आवश्यकता है” …. ! कृष्ण चुप रहे …. ! भीष्म ने पुनः कहा , “कुछ पूछूँ केशव …. ?बड़े अच्छे … Read more

हनुमान चालीसा में हनुमान जी को राम काज करिबे को आतुर क्यों कहा गया?

माता सीता की खोज में निकले सभी वानर समुद्र के तट पर बैठे हैं, और सोच रहे कि 100 योजन दूर लंका द्वीप पर कैसे पहुंचा जाए।सब अपनी- अपनी क्षमताएं बता रहे है, कि मैं इतनी दूर जा सकता हूँ, परन्तु हनुमान जी कुछ नही बोले।जामवंत जी ने सोचा हनुमान जी को उनकी शक्तियां याद … Read more

Associated thinking- ऐसे लोग हमेशा विचार से ग्रसित रहते है…

जो लोगने कभी ध्यान नहीं किया…जो निंद्रा में जीते है, वैसे लोग… ऐसे लोग हमेशा या तो अतीत में होते हैं या भविष्य  के सपने में होते हैं  लेकिन वर्तमान में कभी  नहीं होते हैं. ऐसे लोग हमेशा विचार से ग्रसित रहते है…( Associated thinking ) से जीवन जीते हैं या हमेशा दिन में सपने … Read more

अगर मनुष्य का ये गुण जरूरत से ज्यादा हो जाए हावी तो वो बन जाता है कायर

आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक … Read more

कृष्ण और आज के अर्जुन के मध्य एक अद्वितीय संवाद।

इसे अपने परिवार के समक्ष उच्च स्वर में पढ़े। यह मेरे द्वारा पढ़े गए सर्वश्रेष्ठ संदेशों में से एक है। अर्जुन: मुझे समय का अभाव रहता है। जीवन अत्यंत व्यस्त हो गया है।कृष्ण: गतिविधि तुम्हें व्यस्त रखती है, किंतु उत्पादकता ही तुम्हें मुक्त करती है। अर्जुन: आज जीवन इतना जटिल क्यों प्रतीत होता है?कृष्ण: जीवन … Read more

पांच कोशों का विवरण एवं उनकी शक्ति

अन्तःचेतना में एक से एक विभूतियाँ प्रसुप्त, अविज्ञात स्थिति में छिपी पड़ी हैं। इनके जागने पर मानवीय सत्ता देवोपम स्तर पर पहुँची हुई, जगमगाती हुई, दृष्टिगोचर होती है। आत्म सत्ता के पाँच कलेवरों के रूप में पंचकोश को बहुत अधिक महत्त्व दिया जाता है। पंचकोश का विवरण एवं उनकी शक्ति इस प्रकार हैं- 1.अन्नमय  कोश– … Read more

Karna- born with Natural Armour and Earrings

‘The chief of the Yadus was named Shura and he wasVasudeva’s father. His daughter was named Pritha and her beauty wasmatchless on earth. Earlier, that valorous one had promised his first-bornchild to his father’s sister’s son, because this valorous one had no children.The first-born happened to be a daughter. To do a favour and an … Read more