रांधण छठ का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

रांधण छठ मुख्य रूप से गुजरात और आसपास के क्षेत्रों में मनाया जाने वाला एक पारंपरिक व्रत है, जो श्रावण मास की छठी तिथि को रखा जाता है। यह विशेष रूप से महिलाओं द्वारा पवित्रता, संयम और परिवार की सुख-शांति के लिए किया जाता है। 🌼 रांधण छठ का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व: इस दिन … Read more

ययाति और पुरु की कथा: महाभारत की एक कालातीत गाथा

भारतीय महाकाव्य महाभारत अनेक गूढ़ और शिक्षाप्रद कथाओं से भरा हुआ है, जिनमें से एक है – *राजा ययाति और उनके पुत्र पुरु की कथा*। यह केवल एक पारिवारिक प्रसंग नहीं, बल्कि इच्छाओं, त्याग और धर्म के गहरे स्तरों को छूने वाली कहानी है, जो आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी सहस्राब्दियों पहले थी। … Read more

🐍 महाभारत में वर्णित नाग – सांपों की रहस्यमयी गाथा

महाभारत केवल युद्ध, धर्म और नीति की कथा नहीं है, यह एक विशाल सांस्कृतिक ग्रंथ है जिसमें देव, असुर, गंधर्व, अप्सराएं और नाग (सांप) जैसे अनेक रहस्यमयी जीवों की कथाएं समाहित हैं। इनमें नाग वंश (सांपों की जाति) की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण और रोचक है।—🔱 नाग वंश का उद्भवनागों की उत्पत्ति कश्यप ऋषि और उनकी … Read more

कर्ण का अधर्म: एक वीर योद्धा की नैतिक विफलताएँ

परिचय: महाभारत का कर्ण एक अत्यंत शक्तिशाली, दानवीर और दुखद पात्र है। वह सूतपुत्र होते हुए भी अर्जुन के समकक्ष धनुर्धारी था। लेकिन जहाँ वह वीरता और दानशीलता के लिए प्रसिद्ध है, वहीं उसके जीवन में कई ऐसे निर्णय और कर्म भी हुए जिन्हें “अधर्म” कहा गया। जब द्रौपदी का चीरहरण सभा में हुआ, तब … Read more

“बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय, जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।

अपनी बुराई देखनेका ज्ञान अपनेमें है, पर असावधानीके कारण उसका उपयोग हम दूसरोंकी बुराई देखनेमें करते रहते हैं, जिसका बहुत बड़ा भाग अपनी कल्पना ही होती है, वास्तविक नहीं | वास्तविक बुराईका ज्ञान तो अपने सम्बन्धमें ही सम्भव है और उसीसे साधक सदाके लिये बुराईरहित होकर सभीके लिये उपयोगी हो जाता है | बुराई-रहित होना … Read more

भीष्म बोले , “एक बात बताओ कन्हैया ! इस युद्ध में जो हुआ वो ठीक था क्या …. ?”

भीष्म चुप रहे , कुछ क्षण बाद बोले,” पुत्र युधिष्ठिर का राज्याभिषेक करा चुके केशव … ?उनका ध्यान रखना , परिवार के बुजुर्गों से रिक्त हो चुके राजप्रासाद में उन्हें अब सबसे अधिक तुम्हारी ही आवश्यकता है” …. ! कृष्ण चुप रहे …. ! भीष्म ने पुनः कहा , “कुछ पूछूँ केशव …. ?बड़े अच्छे … Read more

हनुमान चालीसा में हनुमान जी को राम काज करिबे को आतुर क्यों कहा गया?

माता सीता की खोज में निकले सभी वानर समुद्र के तट पर बैठे हैं, और सोच रहे कि 100 योजन दूर लंका द्वीप पर कैसे पहुंचा जाए।सब अपनी- अपनी क्षमताएं बता रहे है, कि मैं इतनी दूर जा सकता हूँ, परन्तु हनुमान जी कुछ नही बोले।जामवंत जी ने सोचा हनुमान जी को उनकी शक्तियां याद … Read more

Associated thinking- ऐसे लोग हमेशा विचार से ग्रसित रहते है…

जो लोगने कभी ध्यान नहीं किया…जो निंद्रा में जीते है, वैसे लोग… ऐसे लोग हमेशा या तो अतीत में होते हैं या भविष्य  के सपने में होते हैं  लेकिन वर्तमान में कभी  नहीं होते हैं. ऐसे लोग हमेशा विचार से ग्रसित रहते है…( Associated thinking ) से जीवन जीते हैं या हमेशा दिन में सपने … Read more

अगर मनुष्य का ये गुण जरूरत से ज्यादा हो जाए हावी तो वो बन जाता है कायर

आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक … Read more